*तिरंगा अगरबत्ती फैक्ट्री में काम करने के लिए जिला प्रशासन ने सुत्र लगभग अनुमानित दो सौ से अधिक लोगों को कैसे दे दी इजाजत?*
*जोकि जिलाधिकारी जी के निर्देशन अनुसार जरूरत की चीजें चालू*
*इजाजत के बाद रेल बाजार की यूनिट व रूमा चालू*
*कानपुर नगर का जिला प्रशासन स्पष्ट करे कि अगरबत्ती फैक्ट्री में किस* *आवश्यक वस्तु का होता रहा है निर्माण*
*रिहायशी क्षेत्र में स्थित है तिरंगा अगरबत्ती की फैक्ट्री, दो सौ से अधिक मजदूरों के द्वारा फैक्ट्री में किस तरह से हो रहा होगा सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन सोचनीय*
कानपुर नगर। शहर के रेल बाजार थाना क्षेत्र में स्थित मा कामाख्या दरबार फ्राग्रन्सेस-इंडिया(368) हर्रिस गंज कैंट कानपुर व रूमा की फैक्ट्री में सभी जानते हैं कि तिरंगा अगरबत्ती के नाम से अगरबत्ती बनाने का कार्य होता है। लेकिन जहां एक और समूचे भारत में कोविड-19 से भारतीयों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा लॉक डाउन घोषित कर दिया गया है। बड़ी से बड़ी फैक्ट्रियों के मालिक पांच पांच लोगों से काम करवाने की अनुमति के लिए उच्च अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। वहीं इस फैक्ट्री में दो सौ से अधिक महिला व पुरुष मजदूर रोज काम करते देखे जा रहे हैं। खास बात यह है कि इन सभी मजदूरों के गले में शहर के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया अनुमति पत्र भी लटकता हुआ नजर आता है। जिसके बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता नजर आता है कि इस फैक्ट्री में कौन सी ऐसी आवश्यक वस्तु बनती है। जिसके लिए दो सौ से अधिक महिला व पुरुष मजदूरों को उस समय में अनुमति दे दी गई है। जिस समय में कानपुर शहर में छुपे विदेशी जमाती सामने आए हैं। और कोरोना पॉजिटिव लोगों की संख्या सात हो चुकी है।
विदित हो कि बीते दिन बुधवार को शहर के कुछ पत्रकारों के द्वारा जनता से सूचना मिलने पर कि थाना रेल बाजार में क्षेत्र में स्थित मा कामाख्या की तिरंगा अगरबत्ती फैक्ट्री में सैकड़ों की संख्या में महिला व मजदूर पुरुष इस लॉक डाउन में भी काम करने आ रहे हैं। जिस पर जब वहां पर पत्रकार बंधु पहुंचे तो यह मामला सही पाया गया। जिसके बाद से लगातार यह मामला चर्चा में है। लेकिन शुक्रवार को भी इस फैक्ट्री में सैकड़ों महिला व पुरुष मजदूर काम करने के बाद सायं काल निकलते दिखाई दिए और यह महिला पुरुष और कहीं नहीं उन्हीं क्षेत्रों में रहते हैं। जिन क्षेत्रों में कोरोना पाजिटिव पाए गए हैं। अथवा पाए जा सकते हैं। खास बात यह है कि शहर कि जनता सोचने पर मजबूर है कि इतनी बड़ी संख्या में लॉक डाउन के समय इस फैक्ट्री में कौन सी ऐसी आवश्यक वस्तु का निर्माण होता है कि जिसमें 200 से अधिक मजदूरों की आवश्यकता हो। हालांकि जब इस मामले में जिला संवाददाता जिला उद्योग निदेशालय के निदेशक से मिले और उनसे इस फैक्ट्री को किस आधार पर लाक डाउन के समय सैकड़ों की संख्या में मजदूरों से काम कराने की अनुमति दी गई है पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी मेरे संज्ञान में नहीं है। इस मामले में फैक्ट्री प्रबंध तंत्र की ओर से भी अभी तक कोई ऐसा जवाब नहीं आया है जिससे यह स्पष्ट हो सके की कौन सी ऐसी आवश्यक वस्तु है जिसके लिए 200 से अधिक मजदूरों की आवश्यकता अगरबत्ती की फैक्ट्री में पड़ रही है। और अगरबत्ती अथवा इससे संबंधित कौन सी ऐसी सामग्री का निर्माण हो रहा है जो आवश्यक वस्तुओं में आती हो इसका पता भी नहीं चल सका है। अगर जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों ने कोई गलती करके इन्हें पास जारी किया है तो भविष्य में लॉक डाउन खत्म होने के बाद कुछ एक उच्च अधिकारियों की ओर से क्या कार्यवाही होगी या नही
*कानपुर दक्षिण प्रेस क्लब*-अध्यक्ष
*धीरेन्द्र कुमार गुप्ता*