सरकार दे रही पूरा ध्यान शिशु मृत्यु दर को नीचे लाना को प्राथमिकता

नवजात की बचाने को जान, सरकार दे रही पूरा ध्यान
शिशु मृत्यु दर को नीचे लाना सरकार की प्राथमिकता
नवजात शिशु देखभाल सप्ताह 14 नवम्बर से 
कंगारू मदर केयर व स्तनपान को बढ़ावा देने पर जोर
प्रदेश में शिशु मृत्यु दर 43 प्रति 1000 जीवित जन्म
कानपुर , 12 नवम्बर 2019
नवजात को असमय मौत से बचाने के लिए सरकार हर संभव कोशिश कर रही है। शिशु मृत्यु दर में गिरावट लाने के लिए ही स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि करने के साथ ही समुदाय में जनजागरूकता के विभिन्न कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। इसी क्रम में 14 से 21 नवम्बर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का आयोजन पूरे प्रदेश में किया जाएगा। इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (उत्तर प्रदेश) के मिशन निदेशक पंकज कुमार ने सूबे के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र भी जारी कर दिया है। उनका कहना है कि इस सप्ताह को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य समुदाय में यह सन्देश पहुँचाना है कि नवजात को 6 माह तक सिर्फ स्तनपान कराना, 6 माह के बाद ऊपरी आहार के द्वारा शिशुओं को कुपोषित होने से बचाना, समय से नियमित टीकाकरण कराना है। 


भारत सरकार की ओर से  जारी (एसआरएस-2016) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश की शिशु मृत्यु दर 43 प्रति 1000 जीवित जन्म है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह सूचकांक 34 प्रति 1000 जीवित जन्म है। इनमें से तीन चौथाई शिशुओं की मृत्यु जन्म के पहले हफ्ते में ही हो जाती है, जबकि जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान और छह माह तक केवल मां का दूध दिए जाने से शिशु मृत्यु दर में 20 से 22 फीसद तक की कमी लायी जा सकती है। 
इसके साथ ही कंगारू मदर केयर और स्तनपान को बढ़ावा देकर भी नवजात को स्वस्थ जीवन प्रदान किया जा सकता है। नवजात शिशु देखभाल सप्ताह के तहत भी इसी बात पर जोर देना है कि स्वास्थ्य कार्यक्रमों में किस प्रकार हर वर्ग का सहयोग हासिल कर शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जाए।
शुरू के 1000 दिन है उपयोगी
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ॰ राजेश कटियार के अनुसार पोषण हर व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण  हैं। खासतौर से गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के लिए जिन्हें पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती हैं, यदि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान सही पोषण नहीं मिलता है तो उनके होने वाले बच्चे भी कम वजन के पैदा होते है और कुपोषण का शिकार हो जाते है। इसलिए गर्भावस्था की शुरुआत से लेकर बच्चे के जन्म के दो साल तक यानि गर्भकाल के 270 दिन और और बच्चे के जन्म के दो साल यानि 730 दिन तक कुल 1000 दिनों तक माँ और बच्चे को सही पोषण मिले तो बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास के साथ-साथ प्रतिरोधक क्षमता में भी बृद्धि होती है, जो आगे जाकर बच्चे को बीमारियों से बचाता है तथा बच्चा स्वस्थ जीवन व्यतीत करता हैं।
नवजात को चिरंजीवी बनाने को इन बातों पर दें ध्यान : 
- प्रसव अस्पताल में ही कराएं और प्रसव के बाद 48 घंटे तक उचित देखभाल के लिए अस्पताल में रुकें।
- नवजात को तुरंत नहलाएं नहीं, शरीर पोंछकर नर्म साफ़ कपड़े पहनाएं।
- जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाना शुरू करें और छह माह तक केवल स्तनपान ही कराएं।
- जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लें और जरुरी इंजेक्शन लगवाएं।
- नियमित और सम्पूर्ण टीकाकरण कराएं।
- नवजात की नाभि सूखी और साफ़ रखें और संक्रमण से बचाएं।
- मां और शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता पर भी ध्यान दें।
- कम वजन और समय से पहले जन्में शिशुओं पर खास ध्यान दें।
- शिशु का तापमान स्थिर रखने के लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) विधि अपनाएँ।
- शिशु जितनी बार चाहे दिन अथवा रात में बार-बार स्तनपान कराएं।
- नवजात को काजल न लगाएं और कान व नाक में तेल न डालें। तेल की मालिश कर सकते हैं।
- कुपोषण व संक्रमण से बचाव के लिए छह माह तक केवल मां का दूध पिलायें, शहद, घुट्टी, पानी आदि न पिलायें।


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