कानपुर। जिंदगी क्या किसी मुफलिस की कबा है जिसमें हर घड़ी दर्द के पैबंद लगे जाते हैं...। मशहूर शायर फैज अहमद फैज की यह पंक्तियां भीतरगांव विकास खंड के गांव साढ़ के मजरा महनीपुर निवासी तारबाबू पर सटीक बैठती हैं। जिंदगी के तारों में उलझे तारबाबू को फिर एक बार मुफसिली ने अपनी बेरहम मार का शिकार बनाया है। उसके लिए सिस्टम ने बेहयाई दिखाई तो मानसून के आखिरी दौर की बारिश ने उसकी झोपड़ी भी छीन ली, रही बची कसर चोरों ने पूरी कर दी। खेत में पड़े मिले गृहस्थी में बचा टूटा बक्सा और कपड़े देख उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाना लाजिमी है। हम बात कर रहे है भीतरगांव विकास खंड की ग्राम पंचायत साढ़ के मजरा महनीपुर में रहने वाले तारबाबू की, जो पत्नी और तीन बच्चों के साथ किसी तरह जीवन यापन कर रहा था, टूटी घास फूस की झोपड़ी में रहने के साथ ही वह मजदूरी कर किसी तरह परिवार का पालन पोषण करने की जुगत में लगा रहता है, ग्राम प्रधान राजेश पाल के मुताबिक 10 विस्वा ऊसर भूमि के स्वामी तारबाबू का नाम 2011 की सामाजिक आर्थिक गणना वाली सूची मे भी है। बावजूद इसके उसे आज तक आवास, शौचालय, सौभाग्य योजना के तहत मुफ्त बिजली कनेक्शन, आयुष्मान कार्ड, रसोई गैस जैसी सुविधाओं का लाभ क्यों नही मिला, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। 13 जुलाई को आत्महत्या के इरादे से रस्सी खरीद पेड़ के समीप पहुंचे तारबाबू को समझाकर ग्रामीण वापस लाए, जिसके बाद तंत्र के तार तो हिले और एसडीएम नर्वल ने उसे दफ्तर में बुलाकर मदद का भरोसा भी दिया था और कुछ समाजसेवियों ने भी नकद मदद दी। इसके बाद फिर सबकुछ जस का तस ठहर गया। 18 सिंतबर की रात हुई जोरदार बारिश में तारबाबू की झोपड़ी ने भी साथ छोड़ दिया था। आशियाना उजडऩे पर वह पड़ोसी की दीवार के सहारे शेड लगा कर पत्नी व बच्चों के साथ जीवन यापन कर रहा था। शुक्रवार रात तारबाबू व परिजनों को नींद में देख चोर उसकी गृहस्थी का एकमात्र बक्सा व कपड़े भी उठा ले गए। सुबह जागने पर तारबाबू व परिजनों को टूटा बक्सा व कपड़े खेत की मेड़ किनारे पड़े मिले।
गरीब तारबाबू के घर को बनाया निशाना