लखनऊ। नगराम क्षेत्र के जौखंडी गांव के शिक्षामित्र 19 वर्षों से नौनिहालों के भविष्य को उज्जवल करते आ रहे हैं लेकिन आज अपने बच्चों की पढ़ाई माता-पिता की दवाई और परिवार का पोषण करने के लिए सरकार की और आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं तब क्या होगा जब वही शिक्षामित्र 18 वर्ष नौकरी करने के बाद मृत्यु को प्राप्त हो जाए उसके परिवार की जिम्मेदारी कौन लेगा यह एक बड़ा सवाल है ताजा मामला ग्राम पंचायत-जौखंडी के रहने वाले शिक्षामित्र संतलाल रावत का है जो कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय कमालापुर, में कार्यरत थे उन्होंने 2002 से अध्यापक के रुप कार्य शुरू किया था सब कुछ ठीक चल रहा था परंतु अचानक 23 अगस्त 2019 को ब्लड कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई जिससे कि पूरा परिवार असहाय एवं मुफलिसी का शिकार होने की कगार पर है। संतलाल की पत्नी संगीता का कहना है कि मेरे 5 बच्चे हैं जिनका नाम क्रमशः आलोक, प्रीति, पूनम, आदर्श, आशुतोष है ! शिक्षामित्र संतलाल रावत अकेले ही पूरे परिवार का पालन पोषण करते थे और उनकी मृत्यु ब्लड कैंसर से हुई हमने जितना हो सके जमीन, जेवर, गिरवी रखकर ऋण लेकर इलाज करवाया कम से कम 2, 00000 रुपए का खर्च आया अब समझ में यह नहीं आ रहा है कि कैसे लड़कियों की शादी करें कैसे पढ़ाई करवाएं कैसे कर्जा चुकाए है बड़ी स्थिति खराब है सरकार की तरफ से भी कोई भी सहायता नहीं मिली ना ही कोई अधिकारी हाल पता लेने आया।
असहाय पत्नी कैसे उठा पाएगी 5 बच्चों की पढ़ाई व शादी विवाह का खर्च