आदमी को पैसा निवेश करना हो तो वो एल आई सी के जीवन बीमा को एक सुरक्षित ऑप्शन मानता है । 29 करोड़ बीमा पॉलिसियां है जो इस बात की तस्दीक करती हैं । लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही एल आई सी के लिए अच्छी नहीं जा रही है. बिजनेस स्टैंडर्ड की ख़बर के मुताबिक , इस दौरान एल आई सी के कुल एसेट यानी कुल संपत्तियों में 57 हज़ार करोड़ की कमी आई है । जून में ख़त्म हुई तिमाही में एल आई सी का शेयर पोर्टफोलियो यानी बाज़ार में हुए निवेश का मूल्यांकन 5.43 लाख करोड़ था । जो इस तिमाही में घटकर 4.86 लाख करोड़ रह गया है । एल आई सी ने जिन बड़ी कंपनियों में निवेश किया है, वो बड़ा घाटा झेल रही हैं । ऊपर से आई डी बी आई जैसे एन पी ए से दबे बैंकों में निर्णायक हिस्सेदारी ख़रीदी गई है।
एल आई सी ने 21000 करोड़ रुपये का निवेश करके 51 फीसदी हिस्सेदारी ख़रीदी थी. लेकिन इतना निवेश भी आई डी बी आई के हालात सुधार नहीं पाया । जून 2019 में ख़त्म हुई पहली तिमाही में आई डी बी आई को 3800 करोड़ का घाटा हुआ है । अब फिर एल आई सी और सरकार मिलकर 9300 करोड़ रुपये आई डी बी आई बैंक को देने वाले हैं। आई डी बी आई में एल आई सी को 51 फीसदी हिस्सेदारी मिलने के बाद आर बी आई ने इसे प्राइवेट बैंक की कैटेगरी में डाल दिया है, ये बैंक पहले सरकारी हुआ करता था । इसकी ख़स्ता हालत सरकारी रहते हुए ही हो गई थी। आई डी बी आई के अलावा एल आई सी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एस बी आई ), पंजाब नेशनल बैंक , इलाहाबाद बैंक और कॉरपोरेशन बैंक में भी हिस्सेदारी बढ़ाई है। ये सभी सरकारी क्षेत्र के बैंक हैं। बैंकिग सेक्टर, खासतौर पर सरकारी बैंकों की ख़स्ता हालत किसी से छुपी नहीं है। सरकार भी मानती है कि एन पी ए यानी फंसे हुए कर्ज़ों के चलते बैंकिंग सेक्टर चुनौतियों का सामना कर रहा है । त्ठप् ने एक रिपोर्ट जारी की है. जिसमें 1988 से 2019 तक एल आई सी की ओर से प्राइवेट और सरकारी क्षेत्र में हुए निवेश के आंकड़े दिए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, एल आई सी का बाज़ार में निवेश 2014 से 2019 के बीच लगभग दोगुना हो गया है. यानी एल आई सी के 1956 में बनने से लेकर 2013 तक जितना पैसा बाज़ार में निवेश किया था, लगभग उतना ही निवेश बीते 5 सालों में कर दिया है. 1956 से 2013 तक एल आई सी ने बाज़ार में 13.48 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था. 2014 से 2019 के बीच एलआईसी का कुल निवेश बढ़कर 26.61 लाख करोड़ हो गया है. यानी, 5 सालों में क़रीब 13.13 लाख करोड़ का निवेश किया है। फर्क बिल्कुल सीधा है. पैसा लोगों का है । अगर एल आई सी को निवेश में घाटा होगा तो लोगों को मिलने वाले रिटर्न में भी कमी आने की आशंका है. एल आई सी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है । जब भी सरकार किसी डूबती या कर्जे से जूझती सरकारी क्षेत्र की कंपनी में पैसा लगाती है तो एल आई सी के पोर्टफॉलियो पर असर पड़ता है। एल आई सी पर बड़ा आरोप है कि ये सरकार के दवाब में डूबती कंपनियों में पैसा लगाती है।
अगर एल आई सी डूब गई तो आम आदमी का क्या हाल होगा