अरुण कुमार बाजपेई द्वारा अपनी पत्नी श्रीमती उपमा बाजपेई के पक्ष में पूर्व में कराए गए सारे दस्तावेजों का दुरुपयोग करके फर्जी वसीयत तैयार कर अपने ही सगे भाई के साथ की धोखाधड़ी
किदवई नगर समाचार ब्यूरो लखनऊ
'निवासी 130/52 की रजिस्ट्री श्रवण कुमार बाजपेई के पिता स्व लक्ष्मी नारायण बाजपेई ने अपने मकान का जुज भाग दिनांक -17 -1-1991 को 240 वर्ग गज आधा श्रवण कुमार बाजपेई व अरुण कुमार बाजपेई जरिए बैनामा विक्रय कर दिया रुपए 40000 में बेच दिया था जिसका दोनों भाइयों ने उक्त प्रॉपर्टी का आधा आधा भाग अपने कब्जे में लेकर अपना स्वामित्व प्राप्त कर लिया था उक्त परिसर का जूज भाग 130/ 52 अरुण कुमार बाजपेई 130 /52 ए श्रवण कुमार बाजपेई ने कानपुर विकास प्राधिकरण में दिनांक 29-12- 1995 बुक संख्या जरिए 4757 /रशीद संख्या- 91 व बुक संख्या 5020 रसीद
संख्या- दो दिनांक 23 -1- 1996 को उक्त परिसर को बनवाने हेतु नजरी नक्शा पास कराया तथा श्रवण कुमार बाजपेई अरुण कुमार बाजपेई द्वारा उक्त परिसर में निर्माणाधीन कार्य विधिवत कराया तथा श्रवण कुमार बाजपेई द्वारा उक्त परिसर दिनांक 31- 11 -2005 को श्रवण कुमार बाजपेई द्वारा विक्रय किया तथा क्रेता श्री अवधेश कुमार गुप्ता पुत्र श्री कृष्ण स्वरूप गुप्ता निवासी मकान नंबर- 87 /130 देव नगर कानपुर को जरिए रजिस्ट्री विक्रय कर दिया उक्त परिसर का विवाद माननीय न्यायालय में वाद बड़े भाई से चल रहा था जिसकी पैरवी हेतु अरुण कुमार बाजपेई द्वारा अपने पिताजी से सादे कागजों में हस्ताक्षर कराए गए थे। जिसकी लीगल पैरवी अरुण कुमार बाजपेई ने माननीय उच्चतम न्यायालय में पैरवी हेतु पूर्व में कराए गए। सादे कागजों का दुरुपयोग करके अपनी पत्नी के नाम फर्जी वसीयत तैयार की यह एक विचारणीय प्रश्न है तथा यह जांच का विषय है तथा दोनों सगे भाइयों के नाम श्रवण कुमार बाजपेई अरुण कुमार बाजपेई दिनांककित जरिए बैनामा हुआ है तथा नगर निगम में दाखिल खारिज में अलग-अलग नामों को लेकर अभिलेखों में दर्ज किया गया है जिसमें दाखिल खारिज दिनांक को नगर निगम के अभिलेखों में दर्ज हुआ है|